माइकल हार्ट की पुस्तक The 100 में पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ को पहले स्थान पर रखने का ऐतिहासिक महत्व

परिचय

दुनिया के इतिहास में सबसे महान और प्रभावशाली लोगों के बारे में जानना और उन पर अध्ययन करना हमेशा से ही विद्वानों और आम लोगों के लिए रुचिकर विषय रहा है। अलग-अलग इतिहासकार और सोचने वाले लोग अपने नज़रिए से कुछ को धर्म के क्षेत्र में, कुछ को राजनीति में, और कुछ को विज्ञान या दर्शन में “सबसे महान” मानते आए हैं। लेकिन जब बात उन लोगों की आती है जिन्होंने पूरी इंसानियत की दिशा बदल दी, तो यह चर्चा और भी अहम हो जाती है।

इसी सिलसिले में अमेरिका के एक मशहूर क्रिश्चियन विद्वान, खगोलशास्त्री और इतिहासकार माइकल एच. हार्ट (Michael H. Hart) का नाम ख़ास तौर पर लिया जाता है। उन्होंने 1978 में अपनी मशहूर किताब The 100: A Ranking of the Most Influential Persons in History लिखी। यह किताब सिर्फ़ लोगों की लोकप्रियता पर नहीं, बल्कि इस बात पर आधारित थी कि किसने इतिहास पर असली और लंबे समय तक असर डाला।

इस किताब की सबसे हैरान करने वाली और अहम बात यह थी कि माइकल हार्ट ने पैग़म्बर मुहम्मद को पहले स्थान पर रखा। उनका कहना था कि मुहम्मद ﷺ एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने धर्म और राजनीति — दोनों में बेहतरीन कामयाबी हासिल की और एक बिखरे हुए समाज को एक मज़बूत उम्मत (community) में बदल दिया।

यह फैसला सिर्फ़ मुसलमानों के लिए गर्व की बात नहीं थी, बल्कि पश्चिमी दुनिया के विद्वानों के लिए भी एक ऐतिहासिक मान्यता के रूप में देखा गया।

क्यों प्रथम स्थान?

माइकल हार्ट ने अपनी किताब The 100 में पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ को पहला स्थान देने के लिए साफ और मजबूत वजहें बताई। उनका कहना था कि मुहम्मद ﷺ एक अनोखे व्यक्ति थे जिन्होंने धर्म और राजनीति दोनों में बड़ी सफलता पाई।

धार्मिक नेतृत्व:
नबी ﷺ ने तौहीद यानी एक अल्लाह में विश्वास का संदेश दिया और अरब में पुराने बहुदेववाद को खत्म किया। उनके संदेश ने लोगों और अल्लाह के बीच सीधे रिश्ते को मजबूत किया और सभी इंसानों के लिए एक सच्चे धर्म की राह दिखाई।

राजनीतिक नेतृत्व:
आपने सिर्फ़ धर्म का प्रचार नहीं किया, बल्कि एक मजबूत और व्यवस्थित शासन की नींव भी रखी। मदीना का संविधान, जिसे आपने बनाया, आज भी एक अनूठा उदाहरण माना जाता है। इसमें अल्पसंख्यकों के अधिकार, न्याय और नागरिक स्वतंत्रता की गारंटी थी।

कानून और समाज सुधार:
पहले अरब समाज अज्ञान, झगड़े और बुराई में डूबा था। नबी ﷺ ने उसे न्याय, अच्छाई, बराबरी और शिक्षा से बदल दिया। उन्होंने महिलाओं, अनाथों और गरीबों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की, जो उस समय दुर्लभ थी।

कम समय में बड़ा बदलाव:
सिर्फ़ 23 सालों में नबी ﷺ ने एक बिखरे हुए समाज को संगठित, समझदार और पढ़े-लिखे समुदाय में बदल दिया, जिसका असर सिर्फ़ अरब ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ा।

हार्ट स्वयं स्वीकार करते हैं:

 “He was the only man in history who was supremely successful on both the religious and the secular level.” (The 100, p. 3)

यही सच्चाई क़ुरआन मजीद में भी झलकती है:

وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلَّا رَحْمَةً لِّلْعَالَمِينَ

और हमने आपको समस्त संसार के लिए केवल रहमत बनाकर भेजा।

(सूरा अल-अंबिया, 21:107)

 अन्य व्यक्तित्व बनाम मुहम्मद

माइकल हार्ट की सूची में कई महान व्यक्तियों का नाम है, लेकिन जब उनकी तुलना पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ से की जाती है, तो बड़ा फर्क साफ़ दिखाई देता है।

आइज़ैक न्यूटन को हार्ट ने दूसरे स्थान पर रखा। न्यूटन ने विज्ञान और गणित में बड़ी क्रांति लाई और आधुनिक विज्ञान की नींव रखी। लेकिन उनका असर ज्यादातर पढ़ाई और तकनीक तक ही सीमित रहा, समाज और राजनीति पर उनका असर उतना व्यापक नहीं था।

ईसा मसीह (अलैहिस्सलाम) को तीसरे स्थान पर रखा गया। हार्ट का कहना था कि ईसाई धर्म का फैलाव ज़्यादातर पॉल (Paul) की मेहनत से हुआ। इसका मतलब यह हुआ कि धर्म की शिक्षा देने वाला और उसके फैलाव का काम करने वाला अलग-अलग लोग थे। जबकि मुहम्मद ﷺ ने खुद धर्म की स्थापना और उसके फैलाव का काम दोनों किया।

गौतम बुद्ध, कन्फ्यूशियस और आइंस्टीन जैसे लोग भी सूची में हैं। इन सबने अपने-अपने क्षेत्र में बड़ा असर डाला, लेकिन उनका असर सीमित था—किसी ने दर्शन दिया, किसी ने नैतिकता पर जोर दिया, किसी ने विज्ञान को आगे बढ़ाया।

लेकिन धर्म और राजनीति का मेल और समाज को हर स्तर पर बदल देने की शक्ति ये खासियतें सिर्फ़ मुहम्मद ﷺ में थीं।

इसलिए हार्ट मानते हैं कि “इतिहास में सबसे प्रभावशाली” केवल पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ पर ही सही बैठती है।

मुस्लिम और पश्चिमी नजरिए

माइकल हार्ट की किताब The 100 आने के बाद मुस्लिम समाज में इसे बहुत गर्व और खुशी के साथ स्वीकार किया गया। कई विद्वानों और आम लोगों ने कहा कि जब एक गैर-मुस्लिम, और वह भी एक ख्रिस्ती इतिहासकार, सीधे शब्दों में मानता है कि पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ ही इतिहास के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति हैं, तो यह सिर्फ़ मुसलमानों का दावा नहीं, बल्कि एक विश्व स्तर का सत्य है। इसलिए मुसलमानों ने इसे इस्लाम की महानता का प्रमाण माना और इसे पश्चिमी दुनिया की सकारात्मक मान्यता के रूप में देखा।

वहीं, पश्चिमी समाज में इस किताब पर अलग-अलग राय आई। कुछ विद्वानों ने इसे गंभीर शोध माना, जबकि कुछ ने इसे “विवादास्पद” कहा। खासकर, ईसा मसीह (अलैहिस्सलाम) को तीसरे स्थान पर रखने से कई ख्रिस्ती लोगों को आपत्ति हुई, क्योंकि उनका मानना था कि ईसा मसीह को सबसे ऊपर होना चाहिए था। इसके चलते पश्चिम में इस किताब पर बहस और आलोचना हुई।

लेकिन इन सब आलोचनाओं के बावजूद माइकल हार्ट अपने फैसले पर डटे रहे। उन्होंने कई बार साफ कहा कि उनकी सूची किसी धर्म के पक्षपात पर नहीं, बल्कि इतिहास में लोगों के असली और लंबे समय तक असर डालने वाले प्रभाव पर आधारित है। इसी वजह से उन्होंने पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ को पहला स्थान दिया और अपने फैसले से पीछे नहीं हटे।

 हमारे लिए शिक्षा

माइकल हार्ट की किताब से हमें दो बातें सीखने को मिलती हैं।

पहली सीख गर्व की है। पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ का असर कोई भावनाओं की बात नहीं, बल्कि इतिहास की सच्चाई है जो हमेशा के लिए दर्ज हो गई है। जब एक गैर-मुस्लिम इतिहासकार भी इस बात को मानता है, तो यह मुसलमानों के लिए अपने नबी ﷺ पर गर्व करने का बड़ा मौका है। यह हमें याद दिलाता है कि नबी ﷺ की शिक्षाएँ सिर्फ़ अरब के लोगों के लिए नहीं थीं, बल्कि उन्होंने पूरे इंसानियत की सोच और दिशा बदल दी।

दूसरी सीख ज़िम्मेदारी की है। सिर्फ़ गर्व करना काफ़ी नहीं है, बल्कि हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम नबी ﷺ की जिंदगी और उनके संदेश को आज के ज़माने की जानकारी, रिसर्च और अच्छे तर्कों के साथ दुनिया के सामने रखें। आज जब इस्लाम के बारे में तरह-तरह की गलतफहमियाँ फैलाई जा रही हैं, तब मुसलमानों का काम है कि वे ज्ञान, समझदारी और अच्छे व्यवहार से इस्लाम की असली तस्वीर दुनिया को दिखाएँ।

रसूलुल्लाह ﷺ का यह हदीस हमें दिशा दिखाता है:

خَيْرُكُمْ مَنْ تَعَلَّمَ الْقُرْآنَ وَعَلَّمَهُ

“तुम में सबसे अच्छा वह है, जो क़ुरआन सीखे और उसे दूसरों को सिखाए।”

(सहीह बुख़ारी, हदीस 5027)

इस हदीस का अर्थ यही है कि मुसलमान केवल अपनी पहचान पर गर्व करने तक सीमित न रहें, बल्कि क़ुरआन और सुन्नत की रोशनी में न्याय, नैतिकता और मानवता को अपने जीवन में उतारें और आगे पहुँचाएँ। यही सच्चे अर्थों में पैग़म्बर ﷺ की विरासत को जीवित रखना है।

निष्कर्ष

माइकल हार्ट की किताब The 100 सिर्फ़ एक ऐतिहासिक सूची नहीं है, बल्कि यह पश्चिमी नज़रिए से इस्लाम की महानता और पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ के गहरे असर को मानने जैसा है। जिस सूची में आइज़ैक न्यूटन जैसे वैज्ञानिक, ईसा मसीह (अलैहिस्सलाम) जैसे धार्मिक नेता और गौतम बुद्ध जैसे आध्यात्मिक गुरु हों — वहाँ सबसे ऊपर हमारे प्यारे नबी मुहम्मद ﷺ का नाम आना किसी अजूबे से कम नहीं। यह साबित करता है कि नबी ﷺ का असर सिर्फ़ धर्म तक सीमित नहीं था, बल्कि राजनीति, समाज, नैतिकता और सभ्यता – हर क्षेत्र में दिखाई देता है।

हार्ट की यह बात आज भी लोगों के दिलों में गूंजती है। यह हमें याद दिलाती है कि पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ सिर्फ़ इतिहास के सबसे सफल व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए रहमत (दया), आदर्श और सच्चे मार्गदर्शक हैं। उनका जीवन इंसाफ़, दया और बराबरी की मिसाल है, और उनकी बातें आज भी उतनी ही सच्ची और ज़रूरी हैं, जितनी 14 सौ साल पहले थीं।

इसलिए मुसलमानों के लिए यह किताब सिर्फ़ गर्व की बात नहीं, बल्कि एक संदेश है — कि हमें नबी ﷺ की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाकर दुनिया के सामने पेश करना चाहिए। यही उनके प्रति हमारी सच्ची मोहब्बत और ईमानदार लगन की निशानी होगी।

संदर्भ

  1. हार्ट, माइकल एच. The 100: A Ranking of the Most Influential Persons in History. न्यू यॉर्क: हार्ट पब्लिशिंग, 1978
  2. क़ुरआन मजीद, सूरा अल-अंबिया
  3. सहीह बुख़ारी,

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