ज़ोहरान ममदानी: न्यूयॉर्क की राजनीति में पहचान, इस्लाम और प्रगतिशील समाजवाद की ऐतिहासिक जीत
3 दिसंबर 2025 की सुबह, न्यूयॉर्क शहर ने एक ऐसा इतिहास रचा जो अमेरिकी राजनीति के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगा। 34 वर्षीय ज़ोहरान क्वासी ममदानी (Zohran Kwame Mamdani) ने 1,036,051 वोटों के साथ 50.4% मत हासिल कर न्यूयॉर्क शहर के 111वें मेयर (Mayor) का चुनाव जीत लिया। यह जीत न सिर्फ़ एक व्यक्ति की सफलता है, बल्कि अमेरिका के सबसे बड़े शहर के पहले मुस्लिम (Muslim), पहले दक्षिण एशियाई मूल (South Asian) और 1897 के बाद सबसे कम उम्र के मेयर बनने का गौरव भी दिलाती है। ममदानी, जो मूल रूप से युगांडा में जन्मे हैं, ने पूर्व गवर्नर एंड्रयू कूओमो (Andrew Cuomo) को 41.6% वोटों से हराया, जबकि रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लिवा (Curtis Sliwa) को मात्र 7% वोट मिले।
यह जीत सिर्फ़ आंकड़ों की नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी की जीत है। 9/11 के बाद पैदा हुई इस पीढ़ी ने इस्लामोफोबिया (Islamophobia) के साये में जीवन जिया, जहाँ हर मुस्लिम को संदेह की नजर से देखा जाता था। ममदानी ने अपनी जीत के बाद कहा, "यह जीत उन सभी की है जो अपनी पहचान (identity) के लिए कभी माफी नहीं मांगेंगे।" न्यूयॉर्क, जो दुनिया का सबसे विविध शहर है—जहाँ 800 से अधिक भाषाएँ बोली जाती हैं—ने एक ऐसे नेता को चुना जो प्रगतिशील समाजवाद (Progressive Socialism) की बात करता है। लेकिन यह जीत आसान नहीं थी। कूओमो जैसे पुराने राजनीतिक दिग्गज और अरबपतियों के पैसे की ताकत के बावजूद, ममदानी ने छोटे दानदाताओं (Donors) (औसतन 27 डॉलर प्रति दान) से 12 मिलियन डॉलर जुटाकर कैंपेन चलाया, जबकि उनके विरोधियों ने 140 मिलियन डॉलर खर्च किए।
ममदानी का जन्म 18 अक्टूबर 1991 को युगांडा के कंपाला में हुआ। उनके माता-पिता—प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक मीरा नायर (Mira Nair) और कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर महमूद ममदानी (Mahmood Mamdani)—की वजह से उनका बचपन बहु-सांस्कृतिक (multi-cultural) था। पाँच साल की उम्र में परिवार दक्षिण अफ्रीका चला गया, और सात साल की उम्र में न्यूयॉर्क आ गया। यह यात्रा ही उन्हें एक वैश्विक दृष्टिकोण (Global perspective) देती है। लेकिन न्यूयॉर्क पहुँचने के बाद, 9/11 ने उनके जीवन को बदल दिया। ममदानी ने अपनी जीत को "एक जनादेश परिवर्तन का (Mandate for change)" बताया, जो किफायती मकान (Affordable housing), मुफ्त सार्वजनिक परिवहन (Public transportation) और सामाजिक न्याय (Social justice) पर केंद्रित है।
अपनी पहचान पर कायम: न माफी, न छिपाना
ज़ोहरान ममदानी की राजनीति की नींव उनकी मुस्लिम पहचान पर टिकी है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने बार-बार कहा, "मैं मुसलमान हूँ। मैं समाजवादी हूँ। और मुझे इन दोनों के लिए कभी शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा।" यह बयान अमेरिकी राजनीति की उस सदियों पुरानी परंपरा को चुनौती देता है, जहाँ अल्पसंख्यकों (Minorities) को सफलता के लिए अपनी पहचान दबानी पड़ती है। ममदानी ने कुर्ता-पायजामा पहनकर कैंपेन किया, रमज़ान में रोज़े रखे, जुमे की नमाज़ पढ़ीं, और फिर भी ब्रॉन्क्स से स्टेटन आइलैंड तक हर कोने में घर-घर जाकर वोट मांगे।
उनकी जीत का एक बड़ा कारण युवा मतदाताओं का उत्साह था। जून 2025 के डेमोक्रेटिक प्राइमरी (Democratic Primary) में उन्होंने कूओमो को हराकर साबित कर दिया कि पहचान की राजनीति (Identity politics) अब पुरानी नहीं रही। ब्रुकलिन के विलियम्सबर्ग जैसे यहूदी बहुल इलाकों में हसीदिक यहूदियों (Hasidic Jews) ने उनके दरवाजे खोले। क्वीन्स के जैक्सन हाइट्स में बांग्लादेशी और पाकिस्तानी दुकानदारों ने मस्जिदों में दुआएँ मांगीं। मैनहैटन के अमीर यहूदी दानदाता, जो शुरू में "प्रो-पैलेस्टाइन" नेता से डरते थे, अंतिम हफ्तों में उनके "हर इंसान के लिए किफायती मकान" के वादे से प्रभावित होकर चुपचाप वोट दे दिए।
ममदानी की पहचान ने उन्हें निशाना भी बनाया। कैंपेन के दौरान कूओमो ने उन्हें "आतंकवादी समर्थक (Terrorist sympathizer)" कहा, जबकि स्लिवा ने "ग्लोबल जिहाद" का समर्थन करने का आरोप लगाया। लेकिन ममदानी ने कभी झुके नहीं। उन्होंने कहा, "मैं अपनी पहचान को गर्व से अपनाता हूँ।" यह दृष्टिकोण न सिर्फ़ मुस्लिम समुदाय को एकजुट करता है, बल्कि पूरे शहर को संदेश देता है कि विविधता ताकत है। न्यूयॉर्क में 800,000 से अधिक मुस्लिम रहते हैं, और ममदानी की जीत ने उन्हें राजनीतिक शक्ति का एहसास कराया।
अरबपतियों की सेना के सामने जनता की जीत
यह चुनाव पैसे का खेल था। कूओमो और उनके समर्थक अरबपति—माइकल ब्लूमबर्ग (Michael Bloomberg) से लेकर रियल एस्टेट माफिया तक—ने 140 मिलियन डॉलर (लगभग 1,170 करोड़ रुपये) खर्च किए। इसके विपरीत, ममदानी का कैंपेन 12 मिलियन डॉलर में चला, जिसमें 80% छोटे दान थे। कूओमो ने प्राइमरी हारने के बाद स्वतंत्र उम्मीदवार (Independent candidate) बनकर वापसी की कोशिश की, लेकिन जनता ने पुरानी राजनीति को नकार दिया।
ममदानी की रैलियों में हजारों लोग बिना किसी पेड मोबिलाइजेशन के आते थे। मतदान के आंकड़े बताते हैं कि काले और हिस्पैनिक इलाकों में ममदानी का प्रदर्शन प्राइमरी से बेहतर रहा, जहाँ उन्होंने ब्रॉन्क्स को फ्लिप कर दिया। एग्जिट पोल्स (Exit polls) के अनुसार, एशियाई मतदाताओं में 65% ने उनका साथ दिया।
यह जीत रियल एस्टेट लॉबी के लिए झटका है। न्यूयॉर्क के किराए 7.6% बढ़ चुके हैं, और ममदानी का एजेंडा उन्हें सीधे चुनौती देता है। कूओमो की हार ने साबित किया कि पैसे से अब चुनाव नहीं जीते जाते। ममदानी ने कहा, "जनता ने पुराने सिस्टम को नकार दिया।"
भेदभाव का दर्द जो राजनीतिक ताकत बना
ममदानी के राजनीतिक सफर में इस्लामोफोबिया (Islamophobia) का दर्द गहराई से जुड़ा है। 9/11 के बाद, उनकी चाची हिजाब पहनकर मेट्रो में जाने से डरने लगीं। एक बार किसी ने चिल्लाया, "अपने देश वापस जाओ!" जबकि वे तीसरी पीढ़ी की अमेरिकी थीं। स्कूल में ममदानी को "ओसामा" कहकर चिढ़ाया जाता था। उनके चाचा ने सलाह दी, "राजनीति में सफल होना है तो धर्म छिपाओ।"
चुनाव से एक हफ्ता पहले, ब्रॉन्क्स की इस्लामिक कल्चरल सेंटर (Islamic Cultural Centre of the Bronx) के बाहर दिए गए भावुक भाषण (Emotional speech) ने लाखों को रुला दिया। ममदानी ने आंसू भरी आवाज में कहा, "न्यूयॉर्क में मुसलमान होना रोज़ बेइज्जती सहना है। लेकिन यही सहनशीलता (Patience) हमें वो हिम्मत देती है जो हथियारों से नहीं मिलती।" यह वीडियो 25 मिलियन व्यूज तक पहुँचा। उन्होंने कूओमो के 9/11 वाले बयान का जिक्र किया, जहाँ कूओमो ने कहा, "ईश्वर न करे, दूसरा 9/11 हो तो ममदानी क्या करेंगे?"
इस भाषण ने इस्लामोफोबिया को बेनकाब किया। वाइस प्रेसिडेंट जेडी वेंस (JD Vance) ने ट्वीट किया, "9/11 का असली शिकार ममदानी की आंटी हैं जो 'खराब नजरों' से डर गईं।" लेकिन वास्तविकता यह है कि 9/11 के बाद मुस्लिमों पर हेट क्राइम्स 1,600% बढ़ गए। ममदानी ने कहा, "इस्लामोफोबिया द्विपक्षीय (Bipartisan) समस्या है—डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स दोनों इसे बर्दाश्त करते हैं।" यह दर्द अब राजनीतिक ताकत बन गया है, जो मुस्लिम समुदाय को संगठित कर रहा है।
एक अनोखा परिवार, एक समावेशी सोच
ज़ोहरान का परिवार उनकी ताकत का स्रोत है। पिता महमूद ममदानी (1946, मुंबई जन्मे) अफ्रीकी उपनिवेशवाद (Colonialism) के प्रमुख विद्वान हैं। उनकी किताबें जैसे "Citizen and Subject" और "Neither Settler Nor Native" ने पोस्ट-कॉलोनियल स्टडीज को नया आयाम दिया। 1972 में इदी अमीन के शासन में उन्हें युगांडा से निकाल दिया गया, लेकिन वे कोलंबिया में हर्बर्ट लेहमन प्रोफेसर बने। माँ मीरा नायर (1957, राउरकेला, भारत जन्मी) ऑस्कर-नॉमिनेटेड निर्देशक हैं। "सलाम बॉम्बे!" (1988) से लेकर "मॉनसून वेडिंग" (2001) तक, उनकी फिल्में प्रवास और पहचान की कहानियाँ बुनती हैं।
माता-पिता 1989 में युगांडा में मिले, जब नायर "मिसिसिपी मसाला" पर रिसर्च कर रही थीं। 1991 में शादी हुई, और उसी साल ज़ोहरान का जन्म हुआ। घर में उर्दू, स्वाहिली, हिंदी और अंग्रेजी बोली जाती थी। ईद और दीवाली दोनों मनाई जाती थीं। यह बहु-सांस्कृतिक परवरिश (Multi-cultural upbringing) ममदानी को समावेशी (Inclusive) बनाती है। वे शिया मुस्लिम हैं, लेकिन सुन्नी मस्जिदों में भी जाते हैं। फिलिस्तीन (Palestine) के लिए आवाज उठाते हैं, लेकिन इजरायली नागरिकों की सुरक्षा का भी समर्थन करते हैं।
उनकी पत्नी रामा दुवाजी (Rama Duwaji), सीरियाई मूल की इलस्ट्रेटर, भी उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं। परिवार ने कभी राजनीतिक सलाह नहीं दी, लेकिन उनका वैश्विक दृष्टिकोण ममदानी की सोच में झलकता है। महमूद ने कहा, "हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारा बेटा मेयर बनेगा।"
जनता का एजेंडा: समाजवाद जो ज़मीन से जुड़ा है
ममदानी डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट्स ऑफ अमेरिका (DSA) के सदस्य हैं। उनका एजेंडा कामगार वर्ग (Working class) पर केंद्रित है। उनके मुख्य वादे हैं:
- अगले 10 वर्षों में 200,000 किफायती मकान (Affordable housing units) बनाना।
- किराया नियंत्रण (Rent control) को मजबूत करना और रेंट-स्टेबलाइज्ड यूनिट्स पर फ्रीज।
- मेट्रो-बस को पूरी तरह मुफ्त (Fare-free transit) करना।
- सार्वजनिक स्कूलों में मुफ्त ब्रेकफास्ट-लंच और आफ्टर-स्कूल केयर।
- न्यूनतम मजदूरी 30 डॉलर प्रति घंटा (Minimum wage $30/hour) करना।
- शहर के सभी कर्मचारियों को यूनियन अधिकार (Union rights)।
- शहर-स्वामित्व वाले ग्रॉसरी स्टोर (City-owned grocery stores)।
ये वादे अमीरों पर 2% टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स (Corporate tax) बढ़ाकर फंड होंगे। रियल एस्टेट लॉबी ने उन्हें "कम्युनिस्ट" कहा, लेकिन ममदानी ने जवाब दिया, "अगर बच्चों को भूखे स्कूल न भेजना कम्युनिज्म है, तो हाँ, मैं कम्युनिस्ट हूँ।" उनका प्लान NYCHA (New York City Housing Authority) में निवेश दोगुना करना भी शामिल है, जो 177,000 अपार्टमेंट्स का रखरखाव करता है।
न्यूयॉर्क से आगे की कहानी
ममदानी की जीत का असर राष्ट्रीय है। डेट्रॉइट, मिनियापोलिस और शिकागो में मुस्लिम उम्मीदवारों को जोश मिला। DSA की सदस्य संख्या दोगुनी हो गई। युवा कह रहे हैं, "अगर न्यूयॉर्क में हो सकता है, तो कहीं क्यों नहीं?" प्रोग्रेसिव्स अब हाउस सीट्स पर नजर डाल रहे हैं, जैसे हकीम जेफ्रीस (Hakeem Jeffries) की। लेकिन चुनौतियाँ हैं: ट्रांजिशन टीम में 400 से अधिक सदस्य हैं, जिसमें DSA लीडर्स भी। ममदानी ने एरिक एडम्स (Eric Adams) से मुलाकात की, और ट्रंप से भी बातचीत की। X पर पोस्ट्स दिखाते हैं कि उनकी जीत ने रियल एस्टेट को हिलाकर रख दिया।
ट्रंप से मुलाकात: जब विरोधी भी झुक जाए
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार, 21 नवंबर 2025 को न्यूयॉर्क सिटी के मेयर-इलेक्ट ज़ोहरान ममदानी से व्हाइट हाउस में मुलाकात की। दोनों की राजनीतिक सोच बिल्कुल अलग है, लेकिन इसके बावजूद यह मीटिंग बिना किसी टकराव या तनाव के शांत माहौल में हुई।
ट्रंप ने चुनाव से एक हफ़्ता पहले Truth Social पर लिखा था: “If the Communist Mamdani wins, New York will lose ALL federal funding. Mark my words.”
फिर भी न्यूयॉर्क की जनता ने ममदानी को चुना। और जीत के 18 दिन बाद ट्रंप ने खुद ही सहयोग का हाथ बढ़ा दिया। ट्रंप ने ममदानी की जीत पर उन्हें बधाई दी और यहां तक कहा कि वह उनकी आने वाली सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। यह बात इसलिए भी चौंकाने वाली थी क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ममदानी के कड़े विरोध में थे। उन्होंने धमकी दी थी कि अगर ममदानी जीत गए तो न्यूयॉर्क की फेडरल फंडिंग रोक दी जाएगी, और उन्होंने ममदानी को “कम्युनिस्ट” तक कहा था। लेकिन ममदानी की जीत के बाद ट्रंप ने अपना रुख बदल लिया और सहयोग का हाथ बढ़ाया। इस तरह के पल यह दिखाते हैं कि असली राजनीतिक जीत वही होती है जब आपका सबसे बड़ा विरोधी भी आपके फैसलों और आपकी जीत का सम्मान करने लगे।
निष्कर्ष: एक शुरुआत, अंत नहीं
ज़ोहरान ममदानी की जीत चमत्कार नहीं, बल्कि उन लाखों की जीत है जो सुबह 5 बजे मेट्रो साफ करते हैं, रात भर अस्पतालों में मरीज देखते हैं। यह बताती है कि इस्लामोफोबिया, नस्लवाद और पूंजी की ताकत के बावजूद, सच्चाई और पहचान की ताकत जीत सकती है। न्यूयॉर्क ने एक नई उम्मीद चुनी, जो पूरे अमेरिका में फैल रही है। लेकिन चुनौतियाँ बाकी हैं—किराया फ्रीज, मुफ्त बसें, यूनिवर्सल चाइल्डकेयर। ममदानी ने कहा, "भविष्य हमारे हाथों में है।" अगर वे वादे निभाते हैं, तो यह समाजवादी क्रांति की शुरुआत होगी।
संदर्भ सूची (References)
- The New York Times, “Zohran Mamdani Elected Mayor of New York City in Historic Upset”, 3 Dec 2025
- The Guardian, “From the Bronx to City Hall: How Zohran Mamdani won”, 4 Dec 2025
- Politico, “Mamdani spent $12M, Cuomo and allies spent $140M – and still lost”, 3 Dec 2025
- NBC New York, “Mamdani’s victory speech: ‘We will never apologize for who we are’”, 3 Dec 2025
- Reuters, “Real estate stocks tumble after Mamdani victory”, 4 Dec 2025
- The Intercept, “How grassroots door-knocking beat billionaire money”, 4 Dec 2025
- Axios, “Trump congratulates Mamdani but warns on ‘radical agenda’”, 3 Dec 2025
लेखक
अब्दुल हसीब. के, पलक्कड़, केरल एंव एहतेशाम हुदवी, क़ुर्तुबा इंस्टिट्यूट, बिहार
Disclaimer
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