आधुनिक विज्ञानों के आविष्कार और विकास में मुसलमानों की भूमिका
परिचय
दुनिया में बहुत सारे धर्म और मज़हब हैं, और हर दिन नए-नए विचार और समूह बनते रहते हैं। हर धर्म में अलग-अलग सोच और मानने वाले लोग मिलते हैं। लेकिन इन सबके बीच, इस्लाम एक ऐसा शांत और सभ्य धर्म है जिसने ज्ञान और विद्वानों की अहमियत लोगों के दिलों में गहराई से बैठा दी है। इस्लाम के पैगंबर, हज़रत मुहम्मद ﷺ ने हमेशा लोगों को पढ़ने, सीखने और ज्ञान हासिल करने की प्रेरणा दी। इस्लाम की शुरुआत से ही कुछ लोग इस्लाम के फैलाव को रोकना चाहते थे। जब वे इसमें नाकाम रहे, तो उन्होंने इस्लाम पर झूठे इल्ज़ाम लगाने शुरू कर दिए।
लेकिन इस्लाम की खासियत यही है कि जितना इसे दबाने की कोशिश की जाती है, उतना ही यह आगे बढ़ता है। आज पूरी दुनिया में इस्लाम की रोशनी फैल चुकी है। फिर भी, कुछ लोग इस्लाम को विज्ञान का विरोधी साबित करने की कोशिश करते हैं। जबकि कुरान शरीफ में कई जगहों पर ज्ञान की महत्वता बताई गई है, और पैगंबर साहब ने अपने साथियों और अनुयायियों को बार-बार ज्ञान प्राप्त करने की शिक्षा दी। इसका असर आज भी दिखता है – इस्लामी दुनिया के अधिकांश गांवों और शहरों में स्कूल और मदरसे हैं, जहां लाखों लोग ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। प्राचीन काल में, इस्लाम ने कई महान वैज्ञानिकों को जन्म दिया, जिन्होंने अपनी बुद्धि से ऐसे विज्ञान विकसित किए जिन्होंने पूरी मानवता को आश्चर्यचकित कर दिया। लेकिन दुख की बात है कि इन विज्ञानों के नाम बदल दिए गए, और अब लोग यह मानने से इनकार करते हैं कि ये मुसलमानों की देन हैं। मुसलमानों ने भी इनसे दूरी बना ली, जिससे आज ये विज्ञान दूसरों की संपत्ति बन गए हैं।
इस्लाम में ज्ञान और विज्ञान की महत्वता
इस्लाम ज्ञान को बहुत महत्व देता है। कुरान की पहली आयत "इकरा" (पढ़ो) है, जो पैगंबर साहब को मिली।
اقْرَأْ بِاسْمِ رَبِّكَ الَّذِي خَلَقَ * خَلَقَ الْإِنسَانَ مِنْ عَلَقٍ * اقْرَأْ وَرَبُّكَ الْأَكْرَمُ * الَّذِي عَلَّمَ بِالْقَلَمِ * عَلَّمَ الْإِنسَانَ مَا لَمْ يَعْلَمْ
पढ़ो अपने रब के नाम से जिसने पैदा किया। इंसान को लोथड़े से पैदा किया। पढ़ो, और तेरा रब बड़ा करीम है। जिसने कलम से सिखाया। इंसान को वह सिखाया जो वह नहीं जानता था। (सूरह अल-अलक: 1-5)
कुरान में 750 से अधिक जगहों पर "इल्म" (ज्ञान) का जिक्र है। एक और आयत में अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है:
قُلْ هَلْ يَسْتَوِي الَّذِينَ يَعْلَمُونَ وَالَّذِينَ لَا يَعْلَمُونَ (سورة الزمر)
कह दो (ऐ नबी): क्या जानने वाले और न जानने वाले बराबर हो सकते हैं? (सूरह अज़-ज़ुमर: 9)
एक और आयत में अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है :
يُؤْتِي الْحِكْمَةَ مَنْ يَشَاءُ وَمَنْ يُؤْتَ الْحِكْمَةَ فَقَدْ أُوتِيَ خَيْرًا كَثِيرًا )سورة البقرة)
अल्लाह जिसे चाहता है हिकमत (बुद्धिमत्ता, समझ) देता है। और जिसे हिकमत दी गई, उसे दरअसल बहुत बड़ी भलाई और नेमत दी गई। (सूरह अल-बकरा: 269)
पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:
طَلَبُ العِلْمِ فَرِيضَةٌ عَلَى كُلِّ مُسْلِمٍ
इल्म हासिल करना हर मुसलमान (मर्द और औरत) पर फ़र्ज़ है। (सुनन इब्न माजाह: 224)
एक और हदीस में आता है:
عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ، أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: "وَمَنْ سَلَكَ طَرِيقًا يَلْتَمِسُ فِيهِ عِلْمًا، سَهَّلَ اللَّهُ لَهُ بِهِ طَرِيقًا إِلَى الْجَنَّةِ".(رَوَاهُ مُسْلِم)
यह हदीस अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: "जो शख्स इल्म हासिल करने के लिए कोई रास्ता अपनाता है, अल्लाह उसके लिए जन्नत का रास्ता आसान कर देता है।" (सहीह मुस्लिम)
यह हदीस दिखाती है कि इस्लाम में ज्ञान की कोई सीमा नहीं। इस्लाम के शुरुआती दिनों में, मुसलमानों ने युद्धों में कैदियों को रिहा करने के बदले में पढ़ाना सिखाया। इससे शिक्षा का प्रसार हुआ।
कुछ लोग कहते हैं कि इस्लाम विज्ञान के ख़िलाफ़ है, लेकिन यह बात सही नहीं है। इस्लामी स्वर्ण युग (Islamic Golden Period) के समय मुसलमान विद्वानों ने ग्रीक विद्वानों जैसे अरस्तू (Aristotle) और प्लेटो (Pluto) की किताबों का अरबी में अनुवाद किया और उनके विचारों को आगे बढ़ाया। बगदाद में बैतुल-हिक्मा (House of Wisdom) नाम का एक बड़ा ज्ञान–केंद्र था, जहाँ वैज्ञानिक काम और रिसर्च होती थी। इस्लाम में इज्तिहाद यानी सोच-समझकर नया समाधान ढूँढने की परंपरा है, जो विज्ञान और नई खोजों को बढ़ावा देती है।
उदाहरण के लिए, कुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है:
أَفَلَا يَنظُرُونَ إِلَى الْإِبِلِ كَيْفَ خُلِقَتْ * وَإِلَى السَّمَاءِ كَيْفَ رُفِعَتْ * وَإِلَى الْأَرْضِ كَيْفَ سُطِحَتْ (سورة الغاشية)
“क्या वे ऊंट की तरफ नहीं देखते कि उसे कैसे पैदा किया गया? और आसमान की तरफ कि उसे कैसे ऊँचा उठाया गया? और धरती की तरफ कि उसे कैसे बिछाया गया?” (सूरह अल-ग़ाशिया 88:17–20)
यह आयत इंसान को सोचने, देखने और कुदरत को समझने की हौसला-अफ़ज़ाई करती है। पुराने दौर के मुसलमान विद्वानों ने दीन (Religion) और साइंस (Science) को अलग नहीं किया, बल्कि दोनों को साथ जोड़कर समझा। इसी से वो कुदरत और दुनिया के कई राज़ जान पाए। आज भी कई मुस्लिम मुल्कों में साइंस की तालीम पर ज़ोर दिया जाता है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ अब भी मौजूद हैं।
इस्लाम ने महिलाओं को भी शिक्षा पाने का पूरा हक़ दिया है। पैग़ंबर ﷺ की पत्नी हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा एक महान विद्वान थीं, जिनसे हजारों सहाबा और ताबेईन ने इल्म हासिल किया। इस्लामी इतिहास में फातिमा अल-फ़िहरी ने मोरक्को में दुनिया की पहली विश्वविद्यालय — अल-क़रावियीन — (University of al-Qarawiyyin ) की स्थापना की। यह सब दिखाता है कि इस्लाम एक समावेशी और ज्ञान को बढ़ावा देने वाला धर्म है।
यूरोप के पुनर्जागरण (Renaissance ) में मुसलमानों का योगदान
यूरोप के पुनर्जागरण (Renaissance ) में मुसलमानों का बड़ा योगदान था। मुसलमान विद्वानों ने पुराने ग्रीक ज्ञान को बचाया और उसे आगे बढ़ाया। उन्होंने अरस्तू (Aristotle), प्लेटो (Plato) और पटॉलमी (Ptolemy) की किताबों का अनुवाद करके यूरोप तक पहुँचाया। मुस्लिम वैज्ञानिक जैसे अल-ख़्वारिज़्मी – गणित और बीजगणित (Al-Khwarizmi – Mathematics/Algebra), इब्न सीना – चिकित्सा (Ibn Sina – Avicenna – Medicine), इब्न अल-हैथम – प्रकाश विज्ञान (Ibn al-Haytham – Alhazen – Optics), अल-बिरूनी – भूगोल (Al-Biruni – Geography) और अल-राज़ी – रसायन और चिकित्सा (Al-Razi – Rhazes – Chemistry/Medicine) की किताबें यूरोप में कई सदियों तक पढ़ाई जाती रहीं।
मुसलमानों के Spain (Al-Andalus) के शहर—कॉर्डोबा, टोलेडो और ग्रेनेडा—यूरोप के लिए ज्ञान के महत्वपूर्ण केंद्र थे। मुसलमानों के स्पेन (Spain) के शहर—कॉर्डोबा (Cordoba), टोलेडो (Toledo) और ग्रेनेडा (Granada)—उस समय यूरोप के लिए ज्ञान और विज्ञान के सबसे बड़े केंद्र थे। मुसलमानों ने यूरोप को paper-making (कागज़ बनाने की तकनीक) compass ( दिशा सूचक यंत्र या कम्पास) advanced mathematics (उन्नत गणित या उच्च स्तर का गणित) जैसी कई तकनीकें भी दीं। इन सब योगदानों ने यूरोप में नए वैज्ञानिक और बौद्धिक दौर, यानी Renaissance, की नींव रखी।
मुस्लिम वैज्ञानिकों के प्रमुख योगदान
इस्लामी स्वर्ण युग (Islamic Golden Period) में मुसलमानों ने कई विज्ञानों की नींव रखी। मुस्लिम वैज्ञानिकों ने दुनिया के विज्ञान और ज्ञान में ऐसा योगदान दिया, जिसने आधुनिक युग की बुनियाद रख दी। उन्होंने गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, रसायन, भौतिकी, भूगोल, समाजशास्त्र और संगीत जैसे कई क्षेत्रों में नई राहें खोलीं।
अल-ख़्वारिज़्मी ने Algebra और Algorithm की नींव रखी, इब्न सीना ने The Canon of Medicine जैसी महान चिकित्सीय किताब लिखी, इब्न अल-हैथम ने Optics और वैज्ञानिक विधि का आधार तैयार किया, जबकि अल-बिरूनी और अल-बत्तानी ने खगोल विज्ञान और भूगोल में अद्भुत खोजें कीं। जाबिर बिन हय्यान ने Chemistry को प्रयोगों पर आधारित विज्ञान बनाया, और इब्न खल्दून ने समाजशास्त्र का प्रारंभिक ढांचा प्रस्तुत किया। इन सभी योगदानों ने न सिर्फ इस्लामी दुनिया को रोशन किया, बल्कि यूरोप के Renaissance और आधुनिक विज्ञान को भी गहराई से प्रभावित किया। मुस्लिम वैज्ञानिकों की यह विरासत आज भी मानव सभ्यता की सबसे बड़ी धरोहरों में से एक है।
नीचे हम प्रमुख क्षेत्रों और उनके आविष्कारकों पर चर्चा करेंगे। ये योगदान यूरोप के पुनर्जागरण (Renaissance) की प्रेरणा बने।
- बीजगणित (Algebra – बीजगणित / الجبر)
बीजगणित संख्याओं और अक्षरों के सहारे समीकरण हल करने का विज्ञान है। इसका आधार रखा मुहम्मद बिन मूसा अल-ख़्वारिज्मी (Muhammad ibn Musa al-Khwarizmi, Algebra) ने (780–850 ई.) में।
- उनकी किताब अल-जब्र वल-मुकाबला से “Algebra” शब्द आया।
- उन्होंने शून्य (Zero) और दशमलव प्रणाली का उपयोग किया—जो भारत से मिला और उन्होंने उसे वैज्ञानिक रूप दिया।
- पश्चिम में उन्हें Algoritmi कहा गया, और Algorithm शब्द उनके नाम से निकला।
- उन्होंने Geometry (ज्यामिति / हिन्दसा) और Astronomy (खगोल / فلکیات) में भी काम किया।
उनकी खोजों ने आधुनिक Mathematics और Computer Science की नींव रखी।
- खगोल विज्ञान (Astronomy – खगोल विज्ञान / فلکیات)
आकाशीय पिंडों—सूरज, चाँद, सितारे—का अध्ययन Astronomy कहलाता है।
- अल-बत्तानी (Al-Battani, Astronomy) (858–929 ई.) ने सूर्य वर्ष की लम्बाई, ग्रहों की गति और पृथ्वी की परिधि (गोलाई) मापी।
- उनकी किताब Kitab al-Zij ने Copernicus को प्रभावित किया।
- पश्चिम में उन्हें Albatenius कहा जाता है।
- अल-बिरूनी (Al-Biruni, Astronomy) (973–1048 ई.) ने पृथ्वी के घूर्णन (Rotation) की ओर इशारा किया और खगोलीय यंत्र बनाए।
इन खोजों ने आधुनिक Observatories, Telescope और Space Science का रास्ता खोला।
- चिकित्सा विज्ञान (Medicine – तिब्ब / طبّ)
चिकित्सा यानी इंसानी जिस्म, बीमारियों और उनके इलाज का इल्म है।
- इब्न सीना (Ibn Sina – Avicenna, Medicine) (980–1037 ई.) को “चिकित्सा का पिता” (Father of Medicine) कहा जाता है।
- उनकी किताब The Canon of Medicine (القانون في الطب) यूरोप की यूनिवर्सिटियों में 700 साल तक पढ़ाई गई।
- उन्होंने संक्रामक रोगों (Infectious diseases) औरदिल की बीमारियों के बारे में अहम उसूल बताए।
- अल-राज़ी (Al-Razi – Rhazes, Medicine) (865–925 ई.) ने चेचक (Smallpox) और खसरा (Measles) में फ़र्क समझाया।
इनसे आधुनिक Hospital, Pharmacy और Medical Research को दिशा मिली।
- रसायन विज्ञान (Chemistry – रसायन / کیمیا)
रसायन विज्ञान (Chemistry) मतलब चीज़ों (Substances) की बनावट (Structure) और उनमें होने वाले बदलाव (Changes) का इल्म है।
- जाबिर बिन हय्यान (Jabir ibn Hayyan, Chemistry) (721–815 ई.) ने कीमिया को विज्ञान बनाया।
- उन्होंने Distillation (आसवन / تقطیر), Crystallization (स्फटीकरण), Purification जैसी विधियाँ विकसित कीं।
- पश्चिमी दुनिया में वे Geber के नाम से जाने जाते हैं।
उनके प्रयोगों से आधुनिक Chemistry की बुनियाद बनी।
- प्रकाशिकी और भौतिकी
(Optics & Physics – प्रकाश विज्ञान / بصریات, भौतिकी / طبیعیات)**
- इब्न अल-हैथम (Ibn al-Haytham – Alhazen, Optics & Physics) (965–1040 ई.) ने Camera Obscura बनाया।
- उन्होंने बताया कि आँख चीज़ों से निकलने वाली रोशनी से नहीं, बल्कि वस्तुओं से टकराकर आने वाली किरणों से देखती है—यह आधुनिक Optics की आधारशिला है।
- उनकी किताब Kitab al-Manazir (Book of Optics) (كتاب المناظر)ने Newton तक को प्रभावित किया।
- उन्होंने Scientific Method “परिकल्पना–प्रयोग–निष्कर्ष”
(hypothesis–experiment–conclusion). का सबसे पहला ढाँचा दिया।
आज फिज़िक्स और कैमरा तकनीक उन्हीं पर आधारित है।
- भूगोल (Geography – भूगोल / جغرافیہ)
- मुहम्मद अल-इद्रीसी (Muhammad al-Idrisi, Geography) (1100–1165 ई.) ने दुनिया का उस समय का सबसे सटीक नक्शा बनाया।
- उनकी किताब Kitab al-Rujar (Tabula Rogeriana) में 70 तफ़सीली मानचित्र (maps) थे।
- अल-बिरूनी ने भारत का भूगोल और संस्कृति विस्तार से लिखा।
इनसे आधुनिक World Maps और Geographical Science विकसित हुई।
- गणित (Mathematics – गणित / ریاضیات)
- अल-ख़्वारिज्मी (Mathematics) ने Algebra, Trigonometry (त्रिकोणमिति / مثلثیات) और अंकों की पद्धति को व्यवस्थित किया।
- उन्होंने वह बुनियाद रखी जिसके बिना आज की Engineering, Economics और Computer Science मुमकिन नहीं होती।
- समाजशास्त्र (Sociology – समाजशास्त्र / عمرانیات)
- इब्न खल्दून (Ibn Khaldun, Sociology) (1332–1406 ई.) को Sociology का जनक (Father of Sociology) कहा जाता है।
- उनकी किताब Muqaddimah में समाज, सियासत, अर्थव्यवस्था और तहज़ीब के उठने-गिरने का गहरा और आसान अंदाज़ में तज़िया (विश्लेषण) मिलता है।
- वे आज भी Social Sciences के आधारस्तम्भ माने जाते हैं।
- औषधि विज्ञान (Pharmacology – औषधि / علم الادویہ)
- इब्न सीना ने जड़ी-बूटियों, दवाओं और इलाजों के बारे में तफ़सीली (विस्तृत) जानकारी दी, जिसका बाद में Pharmaceutical Science पर बड़ा असर पड़ा।
इनके अलावा, अल-फाराबी (Al-Farabi, Logic) ने तर्कशास्त्र, नासिर अल-दीन तूसी (Nasir al-Din al-Tusi, Astronomy) ने ज्योतिष, और अल-बिरूनी (Al-Biruni, Physics) ने भौतिकी में योगदान दिए। इन वैज्ञानिकों ने दुनिया को रोशन किया। ये सब मिलकर इस्लामी स्वर्ण युग (Islamic Golden Age) का आधार बने।
वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ (Current Situation and Challenges)
आज मुसलमान अपनी वही पुरानी वैज्ञानिक परंपरा से काफ़ी दूर हो चुके हैं, जो कभी दुनिया की राह रोशन करती थी। जिस क़ौम ने Algebra, Medicine, Optics, Chemistry और Astronomy की नींव रखी, आज वही आधुनिक विज्ञान और शोध में पिछड़ती नज़र आती है। इसके कई ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक कारण हैं।
- औपनिवेशिक इतिहास (Colonial Legacy)
लंबे समय तक चले औपनिवेशिक शासन ने मुस्लिम समाजों की शिक्षा व्यवस्था, आर्थिक ढाँचा और वैज्ञानिक संस्थान कमज़ोर कर दिए। बहुत-से मुस्लिम देशों में आधुनिक विश्वविद्यालय, प्रयोगशालाएँ और शोध केंद्र विकसित नहीं हो पाए। आज भी कई जगह शिक्षा प्रणाली पुराने ढाँचे पर चल रही है।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी (Lack of Quality Education)
कई मुस्लिम देशों में शिक्षा की पहुँच कम है या वहाँ STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता।
- स्कूलों में प्रयोगशाला सुविधाएँ कम हैं।
- शिक्षक प्रशिक्षण कमज़ोर है।
- पाठ्यक्रम (Curriculum) पुराना है और वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित नहीं करता।
- शोध में कम निवेश (Low Investment in Research)
दुनिया में शोध पर सबसे कम खर्च करने वाले देशों में कई मुस्लिम देश शामिल हैं।
- आधुनिक प्रयोगशालाएँ नहीं बन पातीं।
- वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को संसाधन नहीं मिलते।
- Brain Drain बढ़ता है — प्रतिभाशाली छात्र विदेश चले जाते हैं और वापस नहीं लौटते।
- राजनीतिक अस्थिरता (Political Instability)
कई मुस्लिम देशों में संघर्ष, अस्थिरता, युद्ध या आर्थिक संकट शिक्षा और शोध को प्रभावित करते हैं। विज्ञान तभी खिलता है जब समाज में शांति, स्थिरता और स्वतंत्रता हो।
- सामाजिक रवैया और रूढ़ियाँ (Social Attitudes)
कई जगह विज्ञान और नई सोच को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं मिलता। बच्चों को इंजीनियरिंग या मेडिसिन की तरफ़ तो ज़रूर धकेला जाता है, लेकिन रिसर्च और मौलिक (original) खोजों को वह अहमियत नहीं दी जाती, जिसकी वास्तव में ज़रूरत है।
लेकिन उम्मीद की किरणें भी हैं (Signs of Hope)
हालाँकि स्थिति चुनौतीपूर्ण है, पर पूरी तरह निराशाजनक नहीं। आज भले ही मुस्लिम दुनिया कई चुनौतियों से गुज़र रही हो, लेकिन उम्मीद की रोशनी अब भी ज़िंदा है। अब्दुस सलाम जैसे वैज्ञानिकों ने दिखाया कि मुसलमान आधुनिक विज्ञान में भी बड़ी कामयाबी हासिल कर सकते हैं। मलाला यूसुफ़ज़ई की संघर्ष-यात्रा ने पूरी दुनिया को बताया कि शिक्षा, ख़ासकर लड़कियों की तालीम, तरक़्क़ी की सबसे मज़बूत नींव है। यूएई का Mars Mission, तुर्की की आधुनिक टेक्नोलॉजी, और सऊदी अरब व क़तर में बन रहे साइंस और रिसर्च सेंटर इस बात का सबूत हैं कि दुनिया भर में मुस्लिम समाज फिर से इल्म की तरफ़ लौट रहा है।
तुर्की, इंडोनेशिया, मलेशिया, क़तर, यूएई और सऊदी अरब जैसे देशों में नए विज्ञान केंद्र, अंतरिक्ष कार्यक्रम, और विश्वविद्यालय तेज़ी से विकसित हो रहे हैं। नई पीढ़ी में विज्ञान, टेक्नोलॉजी, AI, रोबोटिक्स और स्पेस साइंस के प्रति दिलचस्पी बढ़ रही है। कई मुस्लिम विद्यार्थी दुनिया की बेहतरीन यूनिवर्सिटियों में रिसर्च कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहे हैं। मुस्लिम महिलाओं की बढ़ती भागीदारी भी एक सकारात्मक बदलाव है। साथ ही, इस्लामी स्वर्ण युग और पुराने मुस्लिम वैज्ञानिकों को फिर से पढ़ने व समझने का सिलसिला बढ़ रहा है। ये सारी चीज़ें बताती हैं कि अगर मेहनत और दिशा बनी रहे, तो मुसलमान विज्ञान की दुनिया में एक बार फिर चमक सकते हैं।
आगे का रास्ता (Way Forward)
जब तक मुसलमान फिर से ज्ञान, शोध और नवाचार (Innovation) को अपनी पहचान नहीं बनाएँगे, तब तक तरक़्क़ी का रास्ता अधूरा रहेगा। लेकिन अगर वही जुनून वापस आ जाए जो अल-ख़्वारिज़्मी, इब्न सीना, जाबिर बिन हय्यान और इब्न खल्दून का था—तो फिर विज्ञान की दुनिया में मुसलमान एक बार फिर अपनी रोशनी बिखेर सकते हैं। इस्लाम ने ज्ञान को रोशनी कहा है और मुस्लिम वैज्ञानिकों ने सदियों तक दुनिया को इस रोशनी से रौशन किया। आज ज़रूरत है कि मुसलमान अपनी वैज्ञानिक विरासत से जुड़ें, शोध बढ़ाएँ, और दुनिया को फिर वही ज्ञान दें जो कभी उनकी पहचान था।
संदर्भ
- सूरह अल-अलक 96:1–5
- सूरह अज़-ज़ुमर 39:9
- सूरह अल-बकरा 2:269
- सूरह अल-ग़ाशिया 88:17–20
- सुनन इब्न माजाह — हदीस 224
- सहीह मुस्लिम — हदीस 2699
- सीरत इब्न हिशाम; मुसनद अहमद
- "The Scientific Advancements in Islamic Golden Age." Scientia Magazine, 2023.
- "The Air of History Part III: The Golden Age in Arab Islamic Medicine." PMC, NCBI.
- "Achievements of the Islamic Golden Age." Students of History.
- "The Contribution of Muslims to the World of Science." The Review of Religions
- "The Golden Age of Islam: Glimpses of Scientific Discovery and Invention." Bibliotheca Alexandrina, 2022.
- "Innovations from the Golden Age of Islam." Sedekah SG.
- "Exploring the Historical Muslim Perspective on Science and Knowledge." Countercurrents, 2024
- "Muslim Contributions to Mathematics and Astronomy." Umrah International
- "Why the Arabic World Turned Away from Science." The New Atlantis.
- "Quranic Verses About Knowledge." My Islam
- "Forty Hadith on Knowledge." Abu Amina Elias.
लेखक:
एहतेशाम हुदवी, लेक्चरर, क़ुर्तूबा इंस्टीट्यूट, किशनगंज, बिहार
Disclaimer
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