ब्लैक होल, वाइट होल और विज्ञान-ईमान का मेल

प्रस्तावना

ब्रह्मांड की गहराइयों में छिपे राज़ इंसान को हमेशा सोचने पर मजबूर करते हैं। ब्लैक होल (Black Hole) और वाइट होल (White Hole) जैसी वैज्ञानिक खोजें दिखाती हैं कि कुदरत कितनी ताक़तवर और रहस्यमय है। ये खोजें सिर्फ़ विज्ञान की उन्नति (scientific progress) नहीं दिखातीं, बल्कि क़ुरआन मजीद की उन आयतों की भी पुष्टि (confirmation) करती हैं, जो 1400 साल पहले ही ब्रह्मांड के बारे में बातें  बता चुकी थीं।

इस्लाम में इल्म को इबादत का दर्जा दिया गया है। रसूलल्लाह ﷺ ने फरमाया कि दुनिया को समझना अल्लाह की क़ुदरत की निशानी को पहचानना है।

ब्लैक होल की हकीकत

ब्लैक होल तब बनता है जब कोई बहुत बड़ा तारा अपना ईंधन खत्म कर देता है। उसके बाद गुरुत्वाकर्षण (gravity) इतनी ज़्यादा बढ़ जाती है कि तारा अपने ही वज़न से सिकुड़कर एक छोटे से बिंदु—जिसे सिंगुलैरिटी (Singularity) कहा जाता है—में बदल जाता है। इसकी एक खास सीमा होती है जिसे इवेंट होराइज़न (Event Horizon) कहते हैं। इस सीमा से बाहर रोशनी भी नहीं निकल पाती।

नासा (NASA) के अनुसार, 2019 में पहली बार ब्लैक होल की असली तस्वीर ली गई। यह तस्वीर आइंस्टाइन के सापेक्षता सिद्धांत (Theory of Relativity) को पूरी तरह सही साबित करती है। ब्लैक होल ब्रह्मांड का ऐसा दरवाज़ा माना जाता है जहाँ से कुछ भी वापस नहीं आता। वैज्ञानिक इसे नो रिटर्न ज़ोन (No-return Zone) कहते हैं।

क़ुरआन इस ताक़त को अल्लाह की हिफ़्ज़त (संरक्षण) की निशानी मानता है, जैसा कि कुछ तफ़सीरों में ज़िक्र है

वाइट होल — सिद्धांत या सच? (White Hole – Theory or Reality?)

वाइट होल (White Hole) ब्लैक होल का उल्टा माना जाता है। जहाँ ब्लैक होल (Black Hole) चीज़ों को अपनी तरफ खींचता है, वहीं वाइट होल चीज़ों—जैसे ऊर्जा (energy), पदार्थ (matter) और रोशनी (light)—को बाहर फेंकता है।

अभी यह सिर्फ़ एक सिद्धांत (theory) है; इसका कोई सीधा सबूत (direct evidence) नहीं मिला है। वैज्ञानिक इसे ब्लैक होल के गणितीय समीकरण (mathematical equations) से निकालते हैं, लेकिन ब्रह्मांड में इसकी वास्तविक मौजूदगी (existence) अभी साबित नहीं हुई है।

ब्लैक होल और वाइट होल की यह जोड़ी हमें ब्रह्मांड के संतुलन (cosmic balance) की याद दिलाती है—खींचना और धकेलना, निगलना और बाहर फेंकना।

क़ुरआन में भी हर चीज़ में तोल-मात्रा (measurement) और संतुलन (balance) का ज़िक्र है, जो इसी व्यवस्था की तरफ इशारा करता है।

क़ुरआन की निशानियाँ प्रमाणित आयतें

क़ुरआन मजीद ने ब्रह्मांड की रचना का बयान इतने गहरे अंदाज़ में किया कि आज का आविष्कार उसकी पुष्टि करता नज़र आता है।

ब्रह्मांड की शुरुआत (Big Bang Theory)

अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है:
أَوَلَمْ يَرَ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ أَنَّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ كَانَتَا رَتْقًۭا فَفَتَقْنَٰهُمَا ۖ وَجَعَلْنَا مِنَ ٱلْمَآءِ كُلَّ شَىْءٍۢ حَىٍّۢ ۖ أَفَلَا يُؤْمِنُونَ۟
क्या काफ़िरों ने नहीं देखा कि आसमान और ज़मीन जुड़े हुए थे (रत्क़), फिर हमने उन्हें अलग किया (फ़त्क़), और पानी से हर ज़िंदा चीज़ बनाई। क्या वे ईमान नहीं लाते? (सूरह अल-अंबिया (21:30)

यह आयत बिग बैंग थ्योरी (Big Bang theory) जैसी लगती है, जिसमें कहा गया है कि ब्रह्मांड पहले एक साथ जुड़ा हुआ था, फिर फैल गया। आधुनिक विज्ञान (Modern science) ने इस सिद्धांत (theory) को जॉर्ज लेमैत्रे (Georges Lemaître) की 1927 की खोज और एडविन हबल (Edwin Hubble) की 1929 की खोज से जाना, लेकिन क़ुरआन ने इसके बारे में 7वीं सदी में ही बता दिया था।

आसमानी अजसाम/ आकाशीय पिण्ड की गति (Movement of Celestial Bodies)

क़ुरआन में दूसरे स्थान पर अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है:
وَهُوَ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلَّيْلَ وَٱلنَّهَارَ وَٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ ۖ كُلٌّۢ فِى فَلَكٍۢ يَسْبَحُونَ۟
“और वही (अल्लाह) है जिसने रात और दिन, सूरज और चाँद को पैदा किया। इन सब में से हर एक अपने-अपने कक्ष (फ़लक) में तैरते हुए चल रहा है।”(सूरह अल-अंबिया (21:33)

यह ग्रहों-तारों की कक्षा गति को बयान करती है, जो आधुनिक खगोल विज्ञान से मेल खाती है ।

आसमान धुएँ की शक्ल में (Cosmic Cloud)

क़ुरआन में आसमान को “धुआँ” बताया गया है, और यह बात आधुनिक विज्ञान से काफ़ी मिलती है। बिग बैंग के बाद शुरूआती ब्रह्मांड बहुत गर्म, घना और रोशनी से रहित था — बिलकुल धुएँ या “कॉस्मिक बादल”  (Cosmic cloud) जैसा। बाद में जब यह ठंडा हुआ, तभी रोशनी फैल सकी और सितारों की बनावट शुरू हुई।

खगोल विज्ञान (astronomy) में भी “धुआँ” जैसी चीज़ें पाई जाती हैं — यानी गैस और धूल से बने बड़े-बड़े बादल (nebulae)। यही बादल नए सितारों के बनने की बुनियाद होते हैं, जैसे मशहूर ओरायन नेब्युला(Orion Nebula)।

इस बारे में अल्लाह तआला ने पवित्र कुरान में इरशाद फरमाता है:

ثُمَّ ٱسْتَوَىٰٓ إِلَى ٱلسَّمَآءِ وَهِىَ دُخَانٌۭ فَقَالَ لَهَا وَلِلْأَرْضِ ٱئْتِيَا طَوْعًۭا أَوْ كَرْهًۭا قَالَتَآ أَتَيْنَا طَآئِعِينَ
फिर अल्लाह ने आसमान की तरफ़ ध्यान किया (क़स्द फरमाया), जब वह धुएँ जैसी हालत में था। अल्लाह ने आसमान और धरती से कहा: ‘आओ, चाहे तुम चाहो या न चाहो।’ दोनों ने जवाब दिया: ‘हम खुशी से हाज़िर हैं।’ सूरह फ़ुस्सिलत (41:11)

यह बात बताती है कि ब्रह्मांड की शुरुआत में वह गैस जैसी अवस्था (gaseous state) में था।

ब्रह्मांड का फैलाव (Expansion of the Universe)

अल्लाह तआला ने पवित्र कुरान में इरशाद फरमाता है:
وَٱلسَّمَآءَ بَنَيْنَٰهَا بِأَيْدٍۢ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ
और आसमान को हमने अपनी क़ुव्वत से बनाया, और हम उसे फैलाने वाले हैं (लमूसिऊन)। सूरह अज़-ज़ारियात (51:47)

यह क़ुरआन की आयत ब्रह्मांड के फैलने (Expansion of Universe) की तरफ़ इशारा करती है, जैसा हबल (Hubble) ने बताया था।

ग्रहों का संतुलन (Orbital Stability in Planets)

अल्लाह तआला ने पवित्र कुरान में इरशाद फरमाता है:
لَا ٱلشَّمْسُ يَنۢبَغِى لَهَآ أَن تُدْرِكَ ٱلْقَمَرَ وَلَا ٱلَّيْلُ سَابِقُ ٱلنَّهَارِ ۚ وَكُلٌّۢ فِى فَلَكٍۢ يَسْبَحُونَ
न सूरज के लिए यह मुमकिन है कि वह चाँद को पकड़ ले, और न ही रात दिन से आगे निकल सकती है। दोनों अपनी–अपनी कक्षा (orbit) में चलते रहते हैं।(सूरह यासीन (36:40) यह कक्षीय गति का सटीक बयान है।

हदीस में इल्म की अहमियत

रसूलल्लाह ﷺ ने फरमाया:
सुनन इब्न माजा (224)
طَلَبُ الْعِلْمِ فَرِيضَةٌ عَلَى كُلِّ مُسْلِمٍ
इल्म तलब करना हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है। (सुनन इब्न माजा (224)

यह हदीस हसन दर्जे की है, और अल-सुयूती जैसे उलमा के मुताबिक़ । इससे साफ़ है कि विज्ञान सीखना इबादत है।

विज्ञान और ईमान साथ चलने वाले रास्ते (“Science and Faith — Paths That Walk Together”)

विज्ञान बताता है कि चीज़ें कैसे होती हैं, और ईमान समझाता है कि वे क्यों होती हैं। ब्लैक होल की जबरदस्त ताक़त हमें अल्लाह की क़ुदरत की याद दिलाती है, जबकि वाइट होल संतुलन (balance) का एक प्रतीक लगता है। क़ुरआन हमें सोचने (reflect), देखने (observe) और सीखने (learn) की दावत देता है। हर नई वैज्ञानिक खोज इंसान को विनम्र (humble) बनाती है और क़ुरआनी आयतों से मेल खाती महसूस होती है—ये चमत्कार (miracle) नहीं, बल्कि हमारे लिए हिदायत (guidance) है।

ब्लैक होल रूह की अँधेरों (darkness of the soul) जैसा है और वाइट होल हिदायत की रोशनी (light of guidance) जैसा; दोनों हमें ज़िंदगी के बारे में गहरी सीख (deep lesson) देते हैं।

गहरा चिंतन — ब्रह्मांड का संदेश

क़ुरआन कहता है हर जानकार इंसान के ऊपर एक और ज्यादा जानने वाला होता है। وَفَوْقَ كُلِّ ذِي عِلْمٍ عَلِيمٌ (यूसुफ़ 12:76)। विज्ञान का सफर अनंत है, जैसे ब्रह्मांड। ब्लैक होल की तस्वीरें हमें यह एहसास कराती हैं कि अल्लाह की हिफ़ाज़त हर वक्त और हर जगह हमारे साथ है।

ईमान दिल को, विज्ञान दिमाग़ को मज़बूत करता है। दोनों मिलकर इंसान को हक़ीक़त के क़रीब ले जाते हैं। आज के वैज्ञानिक भी क़ुरआनी बयानों से हैरान हैं ।

इल्म का फ़र्ज़ और आधुनिक चुनौतियाँ

इस्लाम ने पहले ही कहा — पढ़ो! (इक़रा)। हदीस हमें इल्म तलब करने का हुक्म देती है । ब्लैक होल जैसी खोजें साबित करती हैं कि क़ुरआन विज्ञान-विरोधी नहीं।

आज की आधुनिक दुनिया में छात्रों के लिए ज़रूरी है कि वे क़ुरआन के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी हासिल करें। उन्हें क़ुरआनी तफ़सीर भी सीखनी चाहिए और आधुनिक विज्ञान भी, ताकि दोनों तरह का ज्ञान मिलकर उनकी समझ को पूरा बना सके। इससे नई पीढ़ी मज़बूत बनेगी।

संदर्भ

  • NASA - What Is a Black Hole?
  • CNRS - Are white holes dawning
  • TheLastDialogue.org
  • सूरह अल-अंबिया
  • सूरह फ़ुस्सिलत
  • सूरह अज़-ज़ारियात
  • सूरह यासीन
  • सुनन इब्न माजा

 

लेखक:

नबील अहमद, सीनियर सेकेंडरी, क़ुर्तुबा इंस्टीटयूट, किशनगंज, बिहार

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