अल्लाह की रहमत
परिचय
अल्लाह की रहमत, यानी उसकी मेहरबानी और दया, इस्लाम की सबसे खूबसूरत और दिल को सुकून देने वाली हकीकत है। यह वह अनमोल नेमत है, जो इंसान को हर मुश्किल में सहारा देती है और उसे गुनाहों से माफी की उम्मीद दिलाती है। कुरआन और हदीस में अल्लाह की रहमत को बेपनाह बताया गया है, जो आसमानों और जमीन की हर चीज को अपने दायरे में लेती है। पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अल्लाह की रहमत उसके गुस्से पर गालिब है। आज के दौर में, जब लोग मुश्किलों और गुनाहों में घिरे हैं, अल्लाह की रहमत की तलाश हमें सुकून और सही राह दिखाती है।
अल्लाह की रहमत का मतलब और अहमियत
अल्लाह की रहमत का मतलब है उसकी बेपनाह दया, जो हर इंसान, जानवर, और मखलूक तक पहुंचती है। यह वह मेहरबानी है जो इंसान को गुनाहों से माफी, मुश्किलों से निकलने का रास्ता, और जिंदगी में सुकून देती है। कुरआन में इरशाद है:
وَرَحْمَتِي وَسِعَتْ كُلَّ شَيْءٍ
"और मेरी रहमत ने हर चीज को अपने दायरे में लिया है।"
इमाम गजाली इह्या उलूमिद्दीन में लिखते हैं।
"رحمة الله هي النور الذي يهدي العبد إلى طريق الجنة."
"अल्लाह की रहमत वह नूर है जो बंदे को जन्नत की राह दिखाता है।"
अल्लाह की रहमत के तीन मुख्य प्रकार हैं:
- आम रहमत: जो हर मखलूक को मिलती है, जैसे बारिश, रिजक, और जिंदगी।
- खास रहमत: जो मोमिनों को मिलती है, जैसे माफी और जन्नत।
- रूहानी रहमत: जो इबादत और दुआ से हासिल होती है।
अल्लाह की रहमत इंसान को यह उम्मीद देती है कि कोई गुनाह उसकी माफी से बड़ा नहीं।
कुरआन और हदीस में अल्लाह की रहमत
कुरआन में अल्लाह की रहमत को बार-बार बयान किया गया है। यह गुनहगारों को माफी की उम्मीद देती है। कुरआन में इरशाद है:
قُلْ يَا عِبَادِيَ الَّذِينَ أَسْرَفُوا عَلَىٰ أَنْفُسِهِمْ لَا تَقْنَطُوا مِنْ رَحْمَةِ اللَّهِ ۚ إِنَّ اللَّهَ يَغْفِرُ الذُّنُوبَ جَمِيعًا
"कहो: ऐ मेरे बंदो, जिन्होंने अपनी जानों पर ज्यादती की, अल्लाह की रहमत से मायूस न हो। बेशक अल्लाह सारे गुनाह माफ करता है।"
हदीस में फरमाया गया:
عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: "لَمَّا قَضَى اللَّهُ الْخَلْقَ كَتَبَ فِي كِتَابِهِ عَلَى نَفْسِهِ: إِنَّ رَحْمَتِي تَغْلِبُ غَضَبِي"
"अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा: रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: जब अल्लाह ने मखलूक को बनाया, तो उसने अपने ऊपर लिख लिया: मेरी रहमत मेरे गुस्से पर गालिब है।"
पैगंबर और सहाबा में अल्लाह की रहमत की मिसालें
पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जिंदगी अल्लाह की रहमत की मिसाल है। ताइफ में जब लोगों ने उन्हें पत्थर मारे, तो उन्होंने बददुआ के बजाय उनके लिए दुआ की। कुरआन में इरशाद है:
وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلَّا رَحْمَةً لِلْعَالَمِينَ
"और हमने तुम्हें सारी दुनिया के लिए रहमत बनाकर भेजा।"
हजरत अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु ने अपनी सारी दौलत इस्लाम की राह में दे दी, क्योंकि उन्हें अल्लाह की रहमत पर यकीन था। इमाम बुखारी सही बुखारी में लिखते हैं।
"رحمة الله كانت أمل الصحابة في كل محنة."
"अल्लाह की रहमत सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम की हर मुश्किल में उम्मीद थी।"
हजरत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने गरीबों की मदद की, क्योंकि उन्हें अल्लाह की रहमत का भरोसा था।
अल्लाह की रहमत के फायदे
अल्लाह की रहमत के फायदे दुनिया और आखिरत दोनों में हैं। यह गुनाहों से माफी, मुश्किलों से राहत, और रिजक में बरकत देती है। कुरआन में इरशाद है:
إِنَّ رَحْمَتَ اللَّهِ قَرِيبٌ مِنَ الْمُحْسِنِينَ
"बेशक अल्लाह की रहमत नेकी करने वालों के करीब है।"
हदीस में फरमाया गया:
عَنْ ابْنِ عَبَّاسٍ، قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: "مَنْ لَمْ يَرْحَمْ لَمْ يُرْحَمْ"
: "इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा: रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: जो रहम न करे, उस पर रहम नहीं किया जाता।"
इमाम नववी रियाजुस सालेहीन में लिखते हैं।
"رحمة الله تفتح أبواب الرزق والمغفرة."
"अल्लाह की रहमत रिजक और माफी के दरवाजे खोलती है।"
अल्लाह की रहमत हासिल करने के तरीके
अल्लाह की रहमत हासिल करने के तरीके हैं:
- दुआ और तौबा: गुनाहों से माफी मांगना।
- इबादत: नमाज, रोजा, और जकात को इखलास से करना।
- नेकी: गरीबों की मदद और इंसाफ करना।
कुरआन में इरशाद है:
وَأَقِيمُوا الصَّلَاةَ وَآتُوا الزَّكَاةَ وَأَطِيعُوا اللَّهَ وَرَسُولَهُ ۚ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الْمُحْسِنِينَ
"और नमाज कायम करो, जकात दो, और अल्लाह और उसके रसूल की इताअत करो। बेशक अल्लाह नेकी करने वालों से मोहब्बत करता है।"
हदीस में मरवी है:
عَنْ أَبِي ذَرٍّ، قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: "اتَّقِ اللَّهَ حَيْثُمَا كُنْتَ وَأَتْبِعِ السَّيِّئَةَ الْحَسَنَةَ تَمْحُهَا وَخَالِقِ النَّاسَ بِخُلُقٍ حَسَنٍ"
"अबू जर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा: रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: जहां भी हो, अल्लाह से डर, और बुराई के बाद नेकी कर ताकि वह उसे मिटा दे, और लोगों से अच्छे अखलाक के साथ मिल।"
मौलाना जलालुद्दीन रूमी मसनवी में लिखते हैं।
"رحمت خدا با دعا و عمل صالح به دست میآید."
: "अल्लाह की रहमत दुआ और नेक अमल से हासिल होती है।"
निष्कर्ष
अल्लाह की रहमत वह बेपनाह दया है जो हर मखलूक को अपने दायरे में लेती है। कुरआन और हदीस हमें सिखाते हैं कि यह रहमत गुनाहों से माफी, मुश्किलों से राहत, और जन्नत का रास्ता देती है। पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम की जिंदगी इसकी मिसाल है। आज के दौर में, अल्लाह की रहमत की तलाश हमें सुकून और हिदायत देती है। हमें चाहिए कि दुआ, तौबा, और नेकी के कामों से इस रहमत को हासिल करें। अल्लाह हमें अपनी रहमत से नवाजे और जन्नत नसीब फरमाए।
संदर्भ
- इह्या उलूमिद्दीन, इमाम गजाली
- सूरह अज़-ज़ुमर: 39
- सही बुखारी
- सूरह अल-अंबिया
- रियाजुस सालेहीन, इमाम नववी,
- सुनन तिर्मिजी
- मसनवी, मौलाना जलालुद्दीन रूमी
Disclaimer
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