खुदा का वजूद

परिचय

क्या सच में खुदा मौजूद है? यह सवाल सदियों से इंसान के ज़हन में घूमता रहा है। विज्ञान, दर्शन और धर्म सभी इस पर बहस करते हैं। इस्लाम में खुदा (अल्लाह) की मौजूदगी को इतना साफ़ बताया गया है कि यह आस्था का नहीं, बल्कि तर्क और गवाही का मामला है। कुरआन और हदीस खुदा की मौजूदगी के सबूत देते हैं, जैसे ब्रह्मांड की व्यवस्था, इंसान की चेतना और नैतिकता। बगदाद की एक पुरानी कहानी इस सवाल को अच्छे से समझाती है। बगदाद में एक दहरीया (नास्तिक) लोगों से कह रहा था: "तुम्हारा इमाम अबू हनीफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु बहस से डर गया है। खुदा जैसा कुछ होता ही नहीं!" कुछ देर बाद इमाम अबू हनीफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु आए। दहरीया बोला: "तुम देर से आए हो!" इमाम ने कहा: "रास्ते में नदी थी। मैंने देखा कि एक पेड़ खुद गिरा, लकड़ियां जुड़ीं और जहाज बन गया। वह खुद नदी में उतरा और मुझे पार कराया।" दहरीया हंसा: "यह नामुमकिन है!" इमाम बोले: "अगर जहाज खुद नहीं बन सकता, तो यह विशाल कायनात खुद कैसे बन सकती है?" यह कहानी तर्क से खुदा की मौजूदगी साबित करती है।

खुदा की मौजूदगी पर सोचना इंसान की फितरत है। विज्ञान और दर्शन भी इसकी गवाही देते हैं। अगर हम ब्रह्मांड को देखें, तो सब कुछ खुदा की तरफ इशारा करता है। आइए, दुनिया के सिस्टम से शुरू करते हैं।

दुनिया का सिस्टम और खुदा का तर्क

हमारी दुनिया का हर हिस्सा किसी सिस्टम से जुड़ा है। सूरज रोज एक तय वक्त पर उगता और डूबता है। मौसम बदलते हैं। पानी बादलों से उठकर नदियों के जरिए जमीन तक आता है। पौधे और जानवर एक-दूसरे पर निर्भर हैं। इंसान का शरीर लाखों सिस्टम का मेल है। ये सब इतने सटीक हैं कि जरा सा बदलाव हो तो सब बिखर जाए। आंख का उदाहरण: आंख की कोशिकाएं मिलकर रोशनी को तस्वीर में बदलती हैं। कैमरा बनाने में इंसानों को सदियां लगीं, लेकिन आंख उससे कहीं बेहतर है। डीएनए: एक इंसान के डीएनए में इतनी जानकारी है कि दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी भी छोटी लगे। क्या ये खुद-ब-खुद लिखा गया डेटा है? जब एक व्यवस्था है, तो कोई व्यवस्थापक भी होना चाहिए। यह तर्क दर्शन की भाषा में टेलीओलॉजिकल आर्गुमेंट (डिजाइन आर्गुमेंट) कहलाता है। कुरआन में इरशाद है:

إِنَّ فِي خَلْقِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَاخْتِلَافِ اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ لَآيَاتٍ لِأُولِي الْأَلْبَابِ

"निस्संदेह आसमानों और जमीन की पैदाइश में और रात-दिन के बदलने में अक्ल वालों के लिए निशानियां हैं।" [1]

यह आयत ब्रह्मांड की व्यवस्था को खुदा की निशानी बताती है। इब्ने कसीर "तफसीर इब्ने कसीर" में लिखते हैं। : "الكون نظام دقيق يدل على خالق حكيم." "ब्रह्मांड एक सटीक व्यवस्था है जो एक बुद्धिमान सृजनकर्ता की तरफ इशारा करता है।" [2]

यह उद्धरण तर्क की व्याख्या करता है। स्टीफन हॉकिंग अपनी किताब "A Brief History of Time" में ब्रह्मांड की जटिलता पर लिखते हैं। मूल अंग्रेजी में: "The universe is finely tuned for life, raising questions about a designer." "ब्रह्मांड जीवन के लिए बारीकी से ट्यून किया गया है, जो एक डिजाइनर के सवाल उठाता है।" [3]

यह उद्धरण विज्ञान की गवाही देता है। अगर जहाज खुद नहीं बन सकता, तो ब्रह्मांड कैसे?

पहला कारण — शुरुआत कहां से हुई?

हर चीज का कोई कारण होता है। फूल मिट्टी और बीज से आता है। इंसान मां-बाप से। बादल पानी से। लेकिन ये सिलसिला कहीं तो रुकना चाहिए। पहला कारण कौन है? विज्ञान भी मानता है कि ब्रह्मांड की शुरुआत हुई थी। बिग बैंग थ्योरी कहती है कि सब कुछ एक छोटे बिंदु से फैला। लेकिन वो बिंदु आया कहां से? उसे गति देने वाला कौन था? दार्शनिक इसे कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट कहते हैं। यानी सबसे पहली वजह खुदा है। कुरआन में इरशाद है:

أَوَلَمْ يَرَ الَّذِينَ كَفَرُوا أَنَّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ كَانَتَا رتقا فَفَتًقْناهُما

"क्या काफिरों ने नहीं देखा कि आसमान और जमीन जुड़े हुए थे, तो हमने उन्हें अलग किया।" [4]

यह आयत ब्रह्मांड की शुरुआत बताती है। इमाम तबरि "तफसीर  तबरि" में लिखते हैं। : "الخلق يبدأ من العدم، والمبدئ هو الله." "सृष्टि शून्य से शुरू होती है, और शुरू करने वाला अल्लाह है।" [5]

रिचर्ड डॉकिन्स अपनी पुस्तक "The God Delusion" में विरोध करते हैं, लेकिन मानते हैं कि शुरुआत का सवाल है। "The first cause argument points to a creator, though I argue it's unnecessary." "पहला कारण तर्क एक सृजनकर्ता की तरफ इशारा करता है, हालांकि मैं कहता हूं कि यह जरूरी नहीं है।" [6]

यह उद्धरण विरोधी तर्क देता है, लेकिन सवाल बाकी रहता है।

विज्ञान की गवाही

ब्रह्मांड के नियम इतने सटीक हैं कि जरा भी बदलाव हो तो जीवन असंभव हो जाए। गुरुत्वाकर्षण थोड़ा भी बदल जाए तो तारे और ग्रह न बनें। परमाणु बल बदल जाए तो तत्व ही न हों। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स न हो तो रसायन और जीवन का कोई अस्तित्व न रहे। ये सब ऐसे लगता है जैसे किसी ने बहुत बारीकी से सेट किया हो। विज्ञान इसे फाइन ट्यूनिंग आर्गुमेंट कहता है। यानी एक बुद्धिमान सृजनकर्ता की मौजूदगी। कुरआन में अल्लाह इरशाद फरमाता है

وَالسَّمَاءَ بَنَيْنَاهَا بِأَيْدٍ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ "और आसमान को हमने ताकत से बनाया और हम फैलाने वाले हैं।" [7]

यह आयत ब्रह्मांड की रचना बताती है। इब्ने हिशाम "सीरत रसूलल्लाह" में लिखते हैं। : "الكون دقيق التصميم يدل على خالق حكيم." "ब्रह्मांड का डिजाइन सटीक है जो एक बुद्धिमान सृजनकर्ता की तरफ इशारा करता है।" [8]

यह उद्धरण फाइन ट्यूनिंग बताता है। स्टीफन हॉकिंग "A Brief History of Time" में लिखते हैं। "The laws of physics are fine-tuned for life, suggesting a designer." "भौतिकी के नियम जीवन के लिए सटीक हैं, जो एक डिजाइनर की तरफ इशारा करते हैं।" [9]

इंसान की सोच, नैतिकता और चेतना

अगर इंसान सिर्फ मिट्टी और पानी का बना शरीर होता तो उसमें सोचने, अच्छाई-बुराई समझने, और दूसरों का दर्द महसूस करने जैसी चीजें कहां से आतीं? चेतना (Consciousness): भावनाएं, विचार, निर्णय लेने की क्षमता सिर्फ दिमाग के केमिकल से नहीं आती। नैतिकता (Morality): हर इंसान जानता है कि चोरी, झूठ या हत्या गलत है। ये ज्ञान किताबों से नहीं, बल्कि फितरत से आता है। जैसे कंप्यूटर में प्रोग्रामर कोड डालता है, वैसे ही इंसान में चेतना और नैतिकता डालने वाला भी कोई है—वही खुदा। कुरआन में इरशाद है:

وَنَفْسٍ وَمَا سَوَّاهَا ۝ فَأَلْهَمَهَا فُجُورَهَا وَتَقْوَاهَا

"और नफ्स की कसम और उसने जो उसे तरतीब दी, फिर उसे उसकी बुराई और परहेजगारी की इल्हाम किया।" [10]

यह आयत नैतिकता की फितरी बात बताती है। अल-वाकिदी "किताब अल-मगाजी" में लिखते हैं। : "الفطرة الإنسانية تدل على خالق يزرع الأخلاق." "इंसानी फितरत एक सृजनकर्ता की तरफ इशारा करती है जो नैतिकता बोता है।" [11]

यह उद्धरण चेतना बताता है। रिचर्ड डॉकिन्स "The God Delusion" में विरोध करते हैं, लेकिन मानते हैं कि नैतिकता का सवाल है। मूल अंग्रेजी में: "Morality might evolve, but its universality suggests a higher source."

"नैतिकता विकसित हो सकती है, लेकिन उसकी सार्वभौमिकता एक उच्च स्रोत की तरफ इशारा करती है।" [12]

धर्मों की गवाही

लगभग हर धर्म एक सृजनकर्ता को मानता है। कुरआन: इरशाद है:

إِنَّ فِي خَلْقِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَاخْتِلَافِ اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ لَآيَاتٍ لِأُولِي الْأَلْبَابِ

: "निस्संदेह आसमानों और जमीन की पैदाइश में और रात-दिन के बदलने में अक्ल वालों के लिए निशानियां हैं।" [13]

भगवद गीता: "अहं सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्वं प्रवर्तते। इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विताः।" (अध्याय 10, श्लोक 8)

"मैं ही सम्पूर्ण सृष्टि का कारण हूं, मुझसे ही सब कुछ उत्पन्न होता है। जो ज्ञानी पुरुष इस सत्य को भली-भांति जानते हैं, वे भावपूर्ण होकर मेरी भक्ति करते हैं।" [15

भाषा अलग है, लेकिन संदेश एक ही है—इस ब्रह्मांड का एक बनाने वाला है। अब विरोधी तर्क और जवाब।

विरोधी तर्क और उनके जवाब

"खुदा को किसने बनाया?" खुदा अनादि है। अगर उसे किसी ने बनाया तो वो असली खुदा न होता। "मल्टीवर्स है।" मल्टीवर्स भी नियमों पर चलता है। नियमों का स्रोत कौन है? "विकासवाद ही काफी है।" विकासवाद जीवन के बदलने की प्रक्रिया बताता है, लेकिन शुरुआत कहां से हुई, इसका जवाब नहीं देता। यानी हर रास्ता घुमाकर उसी ओर ले जाता है—एक बनाने वाला है। रिचर्ड डॉकिन्स "The God Delusion" में लिखते हैं। मूल अंग्रेजी में: "Evolution explains life, but the origin of the universe remains a mystery."

नतीजा — सोचिए और समझिए

इमाम अबू हनीफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु की जहाज वाली मिसाल केवल कहानी नहीं, बल्कि सोचने की शुरुआत है। विज्ञान के तर्क, दर्शन की गहराई, और धर्मों की गवाही—सब मिलकर यही बताते हैं कि इस कायनात के पीछे एक सृजनकर्ता मौजूद है। दुनिया का सिस्टम उसकी मौजूदगी का सबूत है। पहला कारण वही है। ब्रह्मांड की फाइन ट्यूनिंग उसका डिजाइन दिखाती है। इंसान की चेतना और नैतिकता उसकी तरफ इशारा करती है। धर्म उसे मानते हैं। जब आप सूरज को उगते देखें, बच्चों को हंसते देखें, या अपने दिल की धड़कन महसूस करें—तो ये सब एक गवाही है कि कोई है जो इसे चला रहा है। नाम आप कुछ भी दें—खुदा, परमेश्वर, भगवान, ईश्वर या Creator—हकीकत यही है कि ये दुनिया खुद-ब-खुद नहीं बनी। जैसे जहाज बिना बनाने वाले के नहीं बनता, वैसे ही कायनात भी बिना सृजनकर्ता के नहीं बन सकती।

निष्कर्ष

खुदा का अस्तित्व केवल आस्था का मामला नहीं, बल्कि तर्क और विज्ञान भी इसकी गवाही देते हैं। दुनिया का सिस्टम, पहला कारण, फाइन ट्यूनिंग, इंसान की चेतना, नैतिकता और धर्मों की गवाही—सब मिलकर खुदा की मौजूदगी साबित करते हैं। कुरआन और हदीस इसकी निशानियां बताते हैं, और इमाम अबू हनीफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु जैसी मिसालें तर्क से समझाती हैं। विरोधी तर्कों के जवाब भी खुदा की तरफ ले जाते हैं। हमें चाहिए कि हम सोचें, महसूस करें और खुदा की मौजूदगी को जानें। आस्था और तर्क—दोनों वहीं जाकर मिलते हैं: कि इस ब्रह्मांड का एक बनाने वाला है, और वही है जिसे हम खुदा कहते हैं। अल्लाह हमें ईमान की तौफीक दे।

फुटनोट्स और संदर्भ

  1. सूरह आले-इमरान: 190
  2. तफसीर इब्ने कसीर, इब्ने कसीर
  3. A Brief History of Time, स्टीफन हॉकिंग
  4. सूरह अल-अंबिया: 30
  5. तफसीर तबरि, तबरि
  6. The God Delusion, रिचर्ड डॉकिन्स
  7. सूरह अज-जारियात: 56
  8. सीरत रसूलल्लाह, इब्ने हिशाम
  9. A Brief History of Time, स्टीफन हॉकिंग, पृष्ठ 150-170
  10. सूरह अश-शम्स: 7-8,
  11. किताब अल-मगाजी, अल-वाकिदी,
  12. The God Delusion, रिचर्ड डॉकिन्स

13. सूरह आले-इमरान: 190

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