
मोह़म्मद अश़रफ रजा़ अलीमी
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इस्लाम एक मुकम्मल निज़ाम-ए-ह़यात है। ज़िन्दगी के हर हिस्से की रहनुमाई इस्लाम के दामन में मौजूद है। मज़हब-ए-इस्लाम ने चैन और सुकून पाने, और इंसानी नस्ल को बढ़ाने के लिए निकाह जैसा पाकीज़ा अमल दिया है। लेकिन अगर एक-दूसरे के साथ जिंदगी गुज़ारना मुश्किल हो तो तलाक़ दे कर छुटकारा हासिल करने की भी इजाज़त...
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जदीद टेक्नोलॉजी और नये नये ईजादात(आविष्कारों) ने इंसानी जिंदगी को अनगिनत सुहूलतें फराहम की हैं। हाँ! उन सुहूलतों से लाभ उठाना और नुक़सान उठाना इस बात पर निर्भर करता है कि इन्सान उनका इस्तेमाल किस तरह करता है
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